Verbal Analysis
This blog is response to an assigned blog by Dr. Dilip Barad sir, on I.A. Richards: Verbal Analysis. click here
Lvor Armstrong Richards 26 February 1893- 7 September 1979, known as I.A.Richards, was an English educator, literary critic, and rhetorician. His work contributed to the foundations of the new criticism. A formalist movement in literary theory which emphasized the close reading of a literary text, especially poetry, in an effort to discover how a work of literature functions as a self - contained and self - referential aesthetic object.
Four Kinds of Meaning
According to I.A.Richard, words carry four kinds of meaning or to be more precise, the total meaning of a word depends upon four factors.
1. Senses
Sense is what is said, or the 'items' referred to by a writer.
2. Feeling
feeling refers to emotions, emotional attitudes, will, desire, pleasure, displeasure and the rest.
3. Tone
Tone is the writer's attitude to his readers or audience. The use of language is determined by the writer's recognition of his relation to his readers.
4. Intention
Intention is the writer's aim, which may be conscious or unconscious. It refers to the effect that he tries to produce.
poem : Kashmir By Virendra Mishra
जहाँ बफॅ की राजकुमारी खोयी है स्वर-लहरी में
चलो चले फूलो की घाटी में, नावों की नगरी में
सन सन सन सन सनन सनन, गाता फिरता गीत पवन
उड़ते हैं पंछी सैलानी, खिलता शालीमार चमन
भ्रमर बजाते शहनाई, किरनो की मालिन आई
झील किनारे वह डलिया भर धूप बिखेरे बजरी में
जंगल-जंगल होड लगी है तितली और टिटिहरी है
कभी हवा आ जाती है, नयी गजल गा जाती है
तब मखमली गलीचो पर कुछ मस्ती- सी छा जाती है
मौसम कभी बदलता है, सपना कभी मचलता है
चरवाहे की वंशी छिड़ती, नील गगन की छतरी में
पलछिन किसी बहाने से, गुजरे हुए जमाने से
बस्ती करती बात जहां है, दुर खड़े वीराने से
चश्मे जहां हिमानी है, फूल जहां रुमानी हैं
हिल - हितकर कहते पतो से चाँद छुपा है बदली में
जल में खिली रुबाइयॉ, बजरो की अंगड़ाइयाँ
चले शिकारे, संग में चल दीं बागों की परछाइयां
प्रेम कथाएं विलहण की, कौन कहे गाथा मन की
झेलम सोयी तारोंवाले नभ की नील मसहरी में
'अमरनाथ ' की राहों में 'शेषनाग' की बाहों में
पश्चिमना ध्वज फहर रहा है देवदारु की छाहो में
मन जिसका गंभीर है, वह अपना कश्मीर है
दाग लगे ना देखो भारत की बर्फीली पगड़ी में
चलो चले फूलो की घाटी में, नावो की नगरी में!
Verbal Analysis of poem
इस कविता में कवि ने कश्मीर के सौंदर्य का वणॅन किआ है। जिस में कवि ने कश्मीर को बर्फ की राजकुमारी और नाव की नगरी कह कर संबोधित किया है। कवि ने सरल भाषा का प्रयोग किया है लेकिन कुछ शब्द फारसी और उर्दू के भी इस्तेमाल किए हुए है जेसै की गजल उर्दू शब्द है। रूमानी शब्द का प्रयोग किया है जो फारसी और अरबी शब्द है।
कवि ने कश्मीर मे स्थित शालीमार बाग का भी निर्देश किया है। जो मुगल बादशाह जहांगीर के इतिहास की याद दिलाता है। भ्रम के आवाज को शहनाई के आवाज जैसे कवि ने बताए है। कश्मीर कि सौंदर्य का वणॅन करते हुए कवि कही प्रकार के रूप को का प्रयोग करते है। जैसे ' डलिया' , 'मखमली गलीचा', 'शेषनाग' इत्यादी। कवि ने मखमली गलिचा के रूप का प्रयोग कर कश्मीर के घास उगे हुए जगह का वणॅन किआ है।
कवि अपनी अगली पंक्ति मे 'रुबाइयॉ ' शब्द का प्रयोग करते है। रुबाइयॉ शब्द ऐ काव्य का एक प्रकार है। कवि विलहण का उल्लेख किया गया है। जो कश्मीर के सुप्रसिद्ध कवि थे। कवि ऐ पशमीना तथा देवदारू वृक्ष का वणॅन किआ है। कवि कश्मीर को भारत कि बर्फीली पगड़ी कहा है।
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